Unknown world - 1 in Hindi Adventure Stories by Vaibhav Surolia books and stories PDF | अन देखी दुनिया - 1

Featured Books
Categories
Share

अन देखी दुनिया - 1

Hello, my friends how are you I hope you all are fine at home so now I am presenting a Adventures story in hindi so let's start the journey of adventure....

शिन्कााए , एक खुबसुरत शहर या यु कहे स्वरग् । उस शहर में एक राजा रहता था उसका नाम महेन्द्र सिंह था ओर उसके बेटे का नाम अजय था । अजय बहुत आलसी था । और उसके पिता भी इसी बात से दुखी थे । उसने काम करने के लिए नोकर ले रखे थे । जैसे- सफाई करवाने वाले नौकर कपड़े पहनाने वाले नौकर खाना बनाने वाले नौकर और यहां तक कि खाना खिलाने वाले नौकर । वह कोई भी काम खुद नहीं करना चाहते थे सारे काम नौकरों से करवाते थे खुद कोई नहीं करते थे । तो यह तो थे शिन्कााए के शहजादे एकदम आलसी । और एक तरफ थी एक चोरनी जो गरीब लोगों की मदद करती थी हां लेकिन उनका तरीका गलत था वे लोगों के घर जा जाकर चीजें चुराया करती थी और फिर उन चीजों को बेच कर उन गरीब लोगों को खाना खिलाती थी शहजादे और उसके पिता को बिल्कुल पसंद नहीं करती थी वह सोचती थी कि यहां के कैसे राजा है कि गरीब लोगों की मदद ही नहीं करते उनको कुछ खाने के लिए ही नहीं देते...

एक महत्वपूर्ण घोषणा हो चुकी थी की महल में 150 करोड़ का हीरा आया है यह सुनकर काली चोरनी के मन में ख्याल आया कि गरीब लोगों को इतने रुपयों से मैं घर बना कर दे सकती हूंउस महत्वपूर्ण हीरे को देखने बाहर से और शिन्कााए के बहुत लोग आए बहुत भीड़ हो चुकी थी और उसी भीड़ का फायदा उठाकर वह चोरनी ऊपर के माले पर रस्सी बांधकर ऊपर लटकी हुई थी वह भीड़ खत्म होने का इंतजार कर रही थीभीड़ खत्म हो चुकी थी और इसी चीज को देखकर वह चोरनी हीरे की तरफ नीचे बड़ी और जैसे तैसे करके उसने हीरा ले भी लिया परंतु अजय उसके सामने आ गया । और वह चोरनी सोचने लग गई अरे यह आलसी शहजादा कहां से आ गया वैसे भी मुझे पकड़ तो पाएगा नहीं इसी बात को सोचकर वह उस को चकमा देकर भाग गई लेकिन शहजादे भी कुछ कम नहीं थे वह भी उसके पीछे भागे लेकिन मैं उसकी रफ्तार नहीं पकड़ पा रहे थे वह दीवारों पर छेड़छाड़ कर भाग रही थी लेकिन उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था तो उनको एक नीचे पड़ा हुआ कपड़ा मिला उन्होंने वह कपड़ा उस चोरने के ऊपर डाला और वह छोड़ने गिर गई जल्दी से मैं उसके हाथ से गिरा छीन कर आगे भाभी लेकिन चोर ने भी फिर उसके पीछे भागी और खुद चांद के उस से हीरा ले लिया ऐसे ही काली चोर ने को आगे रास्ता नहीं दिखा वह वही रूप ले और शहजादे ने उसे पकड़ लिया और उसका नकाब हटा कर उससे पूछा कौन हो तुम तो उसने जवाब दिया तुम्हें इससे क्या आलसी शहजादे शहजादे को बहुत गुस्सा आया और उसने उससे कहा तुम काली चोरियां ऐसी ही होती है और इतने में उसका ली जोशी ने भी कहा कि तुम शहजादे भी ऐसे ही होते हैं आलसी कोई काम खुद नहीं करते सारा काम नौकरी से करवाते हैं । चार्ली चार्ली ने शहजादे को अपनी बात में उलझा लिया और उस को चकमा देकर वापस भागने लगी और इस बार शहजादे उसको पकड़ नहीं पाए और वह निकल गई । जब यह सारी बात उसके पिता को पता चली तब उसके पिता को चला तो उन्होंने यह ऐलान किया कि काली चोरनी अगर हमारे पास खुद आ जाएगी तो हम उसको खूब सारा धन देंगे और यह सुनकर वह चोर ने राजा के सामने आ गई और उस राजा ने अपने बेटे को भी बुला लिया और दोनों को अपने सामने खड़ा किया और बोला तुम दोनों इस राज्य से बाहर किए जाते हो काली चोरनी तुमको इसलिए की जाती हो कि तुमने कितने घरों में जाकर छोरियां की है और तुम इसलिए किए जाते हो कि तुम कितने आलसी हो तो अजय ने कहा कि मुझे आखिरी मौका दो तो राजा ने भी यह सोचकर उसे एक परीक्षा पार करने के लिए कहा उसने कहा कि तुम दोनों दूसरे राज्य जाकर वहां के राजा का ताज हमको ला कर दोगे तभी तुम को इस शहर में आने की अनुमति दी जाएगी यह सुनकर अजय बोला कि मैं और इस काली छोड़ने के साथ कभी नहीं और उस काली छोरी ने भी कहा मैं भी इसके साथ कहीं नहीं जाऊंगी तो फिर यह सुनकर राजा ने बोला तो फिर ठीक है तुम दोनों यहां से चले जाओ हमेशा के लिए तो उस चोरनी ने कहा ठीक है मैं इसके साथ जाने के लिए तैयार हूं और उस अजय ने भी कह दिया ठीक है दोनों की जाने की तैयारियां हुई थी दोनों शहर से बाहर निकल चुकी है........

To be continued.....

Written by

- Vaibhav surolia